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अध्याय 39: अक्रूर द्वारा दर्शन
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श्लोक 13
श्लोक
10.39.13
गोप्यस्तास्तदुपश्रुत्य बभूवुर्व्यथिता भृशम् ।
रामकृष्णौ पुरीं नेतुमक्रूरं व्रजमागतम् ॥ १३ ॥
अनुवाद
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जब गोपियों ने सुन लिया कि अक्रूर कृष्ण तथा बलराम को ले जाने के लिए व्रज आ गए हैं, तब वे अत्यंत दुखी हो गई।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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