श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 38: वृन्दावन में अक्रूर का आगमन  »  श्लोक 40
 
 
श्लोक  10.38.40 
 
 
तस्मै भुक्तवते प्रीत्या राम: परमधर्मवित् ।
मखवासैर्गन्धमाल्यै: परां प्रीतिं व्यधात्पुन: ॥ ४० ॥
 
अनुवाद
 
  जब अक्रूर भरपेट भोजन कर चुके, तो भगवान बलराम, जो धार्मिक कर्तव्यों के परम ज्ञाता हैं, ने उन्हें मुँह मीठा करने के लिए सुगंधित द्रव्य और सुगंधित फूलों की मालाएँ भेंट कीं। इस प्रकार अक्रूर ने एक बार फिर से परम सुख का अनुभव किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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