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अध्याय 37: केशी तथा व्योम असुरों का वध
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श्लोक 9
श्लोक
10.37.9
देवर्षिरुपसङ्गम्य भागवतप्रवरो नृप ।
कृष्णमक्लिष्टकर्माणं रहस्येतदभाषत ॥ ९ ॥
अनुवाद
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हे राजन्, तत्पश्चात् देवर्षि नारद भगवान् कृष्ण के पास एकान्त स्थान में गये। ये महाभागवत बिना किसी प्रयास के लीला करने वाले भगवान् से इस प्रकार बोले।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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