श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 37: केशी तथा व्योम असुरों का वध  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  10.37.21 
 
 
अथ ते कालरूपस्य क्षपयिष्णोरमुष्य वै ।
अक्षौहिणीनां निधनं द्रक्ष्याम्यर्जुनसारथे: ॥ २१ ॥
 
अनुवाद
 
  इसके बाद मैं तुझे स्वयं काल स्वरूप प्रकट होते देखूँगा, अर्जुन के सारथी के रूप में सेवा करते हुए और धरती के बोझ को हल्का करने के लिए सैनिकों की समस्त सेनाओं का संहार करते हुए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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