श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 36: वृषभासुर अरिष्ट का वध  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  10.36.15 
 
 
एवं कुकुद्मिनं हत्वा स्तूयमान: द्विजातिभि: ।
विवेश गोष्ठं सबलो गोपीनां नयनोत्सव: ॥ १५ ॥
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार अरिष्ट नामक वृषासुर का वध करने के बाद, गोपियों की आँखों के त्योहार (उत्सव) स्वरूप कृष्ण, बलराम के साथ ग्वाल-बालों के गाँव में प्रवेश कर गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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