हे भक्तवर यशोदा माँ, गौओं को चराने की विद्या में कुशल आपके प्यारे बेटे ने वंशी बजाने के अनेक अंदाज ईजाद किये हैं। जब ये अपने बिम्बा सदृश लाल होंठों पर वंशी को लगाते हैं और नाना प्रकार के राग-रागिनी में स्वर निकालते हैं, तो ये ध्वनियाँ सुनकर ब्रह्मा, शिव, इंद्र और दूसरे प्रमुख देवतागण का मन हर जाता है। यद्यपि वो बड़े विद्वान अधिकारी हैं परंतु ये उस संगीत के सार को नहीं पहचान पाते; इसीलिए ये अपना सिर झुकाते हैं और मन से प्रणाम करते हैं।