श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 34: नन्द महाराज की रक्षा तथा शंखचूड़ का वध  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  10.34.5 
 
 
कश्चिन्महानहिस्तस्मिन् विपिनेऽतिबुभुक्षित: ।
यद‍ृच्छयागतो नन्दं शयानमुरगोऽग्रसीत् ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  रात होते ही उस जंगल में एक बड़ा और बहुत भूखा सांप प्रकट हुआ। अपने पेट के बल चलता हुआ वह सो रहे नंद महाराज के पास गया और उन्हें निगलने लगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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