वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
»
अध्याय 34: नन्द महाराज की रक्षा तथा शंखचूड़ का वध
»
श्लोक 5
श्लोक
10.34.5
कश्चिन्महानहिस्तस्मिन् विपिनेऽतिबुभुक्षित: ।
यदृच्छयागतो नन्दं शयानमुरगोऽग्रसीत् ॥ ५ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
रात होते ही उस जंगल में एक बड़ा और बहुत भूखा सांप प्रकट हुआ। अपने पेट के बल चलता हुआ वह सो रहे नंद महाराज के पास गया और उन्हें निगलने लगा।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.