उपगीयमानौ ललितं स्त्रीजनैर्बद्धसौहृदै: ।
स्वलङ्कृतानुलिप्ताङ्गौ स्रग्विनौ विरजोऽम्बरौ ॥ २१ ॥
अनुवाद
कृष्ण और बलराम जी ने फूलों की माला और साफ-सुथरे वस्त्र पहन रखे थे। उनके अंग-प्रत्यंग बहुत सुंदर ढंग से सजे हुए थे और लेपित किए गए थे। उनके स्नेह में बँधी हुई औरतों ने बहुत ही मनमोहक ढंग से उनकी महिमा का गायन किया।