श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 34: नन्द महाराज की रक्षा तथा शंखचूड़ का वध  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  10.34.21 
 
 
उपगीयमानौ ललितं स्त्रीजनैर्बद्धसौहृदै: ।
स्वलङ्कृतानुलिप्ताङ्गौ स्रग्विनौ विरजोऽम्बरौ ॥ २१ ॥
 
अनुवाद
 
  कृष्ण और बलराम जी ने फूलों की माला और साफ-सुथरे वस्त्र पहन रखे थे। उनके अंग-प्रत्यंग बहुत सुंदर ढंग से सजे हुए थे और लेपित किए गए थे। उनके स्नेह में बँधी हुई औरतों ने बहुत ही मनमोहक ढंग से उनकी महिमा का गायन किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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