श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 33: रास नृत्य  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  10.33.36 
 
 
अनुग्रहाय भक्तानां मानुषं देहमास्थित: ।
भजते ताद‍ृशी: क्रीडा या: श्रुत्वा तत्परो भवेत् ॥ ३६ ॥
 
अनुवाद
 
  जब भगवान् अपनी कृपा का प्रदर्शन करने के लिए मानव जैसा शरीर ग्रहण करते हैं, तो वे ऐसे कार्य करते हैं जिससे उन्हें सुनने वाले भक्तिमार्ग पर आकर्षित होकर समर्पित हो जाते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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