श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 33: रास नृत्य  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  10.33.24 
 
 
ततश्च कृष्णोपवने जलस्थल-
प्रसूनगन्धानिलजुष्टदिक्तटे ।
चचार भृङ्गप्रमदागणावृतो
यथा मदच्युद् द्विरद: करेणुभि: ॥ २४ ॥
 
अनुवाद
 
  इसके बाद भगवान ने यमुना नदी के तट पर स्थित एक छोटे से उपवन में विहार किया। यह वन जमीन और पानी में खिले फूलों की सुगंध से भरा था। मधुमक्खियों और सुंदर महिलाओं से घिरे भगवान कृष्ण एक मदमस्त हाथी की तरह दिख रहे थे जो अपनी हथिनी के साथ विचरण कर रहा हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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