श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 30: गोपियों द्वारा कृष्ण की खोज  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  10.30.39 
 
 
हा नाथ रमण प्रेष्ठ क्‍वासि क्‍वासि महाभुज ।
दास्यास्ते कृपणाया मे सखे दर्शय सन्निधिम् ॥ ३९ ॥
 
अनुवाद
 
  वह पुकार उठी: हे स्वामी, हे प्रियतम, हे प्रियतम, तू कहाँ है? तू कहाँ है? हे बलवान भुजाओं वाले, हे सखा, अपनी दीन दासी को दर्शन दे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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