श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 30: गोपियों द्वारा कृष्ण की खोज  »  श्लोक 33
 
 
श्लोक  10.30.33 
 
 
केशप्रसाधनं त्वत्र कामिन्या: कामिना कृतम् ।
तानि चूडयता कान्तामुपविष्टमिह ध्रुवम् ॥ ३३ ॥
 
अनुवाद
 
  निश्चित तौर से कृष्ण ने अपनी प्रेमिका के बाल संवारने के लिए यहाँ उसके साथ बैठे थे। कामुक लड़के ने उन फूलों से अपनी कामुक प्रेमिका के लिए जूड़ा बनाया होगा जिसे उसने इक्कट्ठा किया था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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