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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 30: गोपियों द्वारा कृष्ण की खोज
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श्लोक 32
श्लोक
10.30.32
अत्र प्रसूनावचय: प्रियार्थे प्रेयसा कृत: ।
प्रपदाक्रमण एते पश्यतासकले पदे ॥ ३२ ॥
अनुवाद
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ज़रा देखो न, किस तरह प्रिय कृष्ण ने यहाँ पर अपनी प्रेयसी के लिए फूल चुने हैं। यहाँ उनके पैरों के अग्र भाग (पंजे) का ही चिह्न बना हुआ है क्योंकि फूलों तक पहुँचने के लिए वे अपने पैरों के पंजों पर खड़े थे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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