अनयाराधितो नूनं भगवान् हरिरीश्वर: ।
यन्नो विहाय गोविन्द: प्रीतो यामनयद् रह: ॥ २८ ॥
अनुवाद
इस विशेष गोपी ने अवश्य ही सर्वशक्तिमान भगवान् गोविन्द की पूर्ण रूप से पूजा की होगी क्योंकि वे उनसे इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने हम सभी गोपियों को छोड़ दिया और उन्हें एकांत स्थान में ले आए।