श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 30: गोपियों द्वारा कृष्ण की खोज  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  10.30.26 
 
 
तैस्तै: पदैस्तत्पदवीमन्विच्छन्त्योऽग्रतोऽबला: ।
वध्वा: पदै: सुपृक्तानि विलोक्यार्ता: समब्रुवन् ॥ २६ ॥
 
अनुवाद
 
  गोपियाँ श्रीकृष्ण के उन अनेक पदचिन्हों द्वारा प्रदर्शित उनके मार्ग का अनुमान लगाने लगीं, लेकिन जब उन्होंने देखा कि ये पदचिन्ह उनकी प्रियतमा के पदचिन्हों के साथ मिल गए हैं, तो वे व्याकुल हो गईं और इस प्रकार बोलने लगीं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.