श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 29: रासनृत्य के लिए कृष्ण तथा गोपियों का मिलन  »  श्लोक 40
 
 
श्लोक  10.29.40 
 
 
का स्त्र्यङ्ग ते कलपदायतवेणुगीत-
सम्मोहितार्यचरितान्न चलेत्त्रिलोक्याम् ।
त्रैलोक्यसौभगमिदं च निरीक्ष्य रूपं
यद् गोद्विजद्रुममृगा: पुलकान्यबिभ्रन् ॥ ४० ॥
 
अनुवाद
 
  हे कृष्ण, तीन भुवनों में वो कौन सी नारी होगी जो आपकी बाँसुरी की मधुर तान से रोमांचित होकर अपने धार्मिक आचरण से विचलित नहीं हो जाएगी? आपकी सुंदरता तीनों लोकों को मंगलमय बनाती है। वस्तुत: गायें, पक्षी, पेड़ और हिरण तक आपके सुंदर रूप को देखकर रोमांचित हो जाते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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