श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 29: रासनृत्य के लिए कृष्ण तथा गोपियों का मिलन  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  10.29.25 
 
 
दु:शीलो दुर्भगो वृद्धो जडो रोग्यधनोऽपि वा ।
पति: स्त्रीभिर्न हातव्यो लोकेप्सुभिरपातकी ॥ २५ ॥
 
अनुवाद
 
  जो स्त्रियाँ अगले जन्म में उत्तम गति पाना चाहती हैं उन्हें उस पति का परित्याग नहीं करना चाहिए जिसने अपने धार्मिक नियमों का पालन किया है, चाहे वह दुर्व्यवहारी, दुर्भाग्यपूर्ण, बूढ़ा, अज्ञानी, बीमार या गरीब क्यों न हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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