हे स्तोककृष्ण हे अंशो श्रीदामन् सुबलार्जुन ।
विशाल वृषभौजस्विन् देवप्रस्थ वरूथप ॥ ३१ ॥
पश्यतैतान् महाभागान् परार्थैकान्तजीवितान् ।
वातवर्षातपहिमान् सहन्तो वारयन्ति न: ॥ ३२ ॥
अनुवाद
भगवान् कृष्ण ने कहा, “हे स्तोककृष्ण तथा अंशु, हे श्रीदामा, सुबल तथा अर्जुन, हे वृषभ, ओजस्वी, देवप्रस्थ तथा वरूथप, जरा इन भाग्यशाली वृक्षों को देखो जिनके जीवन ही अन्यों के लाभ हेतु समर्पित है। वे हवा, लगातार वर्षा, धूप तथा पाले को सहकर भी इन तत्वों से हमारी रक्षा करते हैं।