वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
»
अध्याय 22: कृष्ण द्वारा अविवाहिता गोपियों का चीरहरण
»
श्लोक 30
श्लोक
10.22.30
निदघार्कातपे तिग्मे छायाभि: स्वाभिरात्मन: ।
आतपत्रायितान् वीक्ष्य द्रुमानाह व्रजौकस: ॥ ३० ॥
अनुवाद
play_arrowpause
जब सूर्य की तपन बढ़ गई, तब कृष्ण ने देखा कि सभी वृक्ष उनके ऊपर छाया करके छत्र का काम कर रहे हैं। तब वे अपने ग्वालमित्रों से इस प्रकार बोले।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.