एवंविधं त्वां सकलात्मनामपि
स्वात्मानमात्मात्मतया विचक्षते ।
गुर्वर्कलब्धोपनिषत्सुचक्षुषा
ये ते तरन्तीव भवानृताम्बुधिम् ॥ २४ ॥
अनुवाद
सूर्य समान अध्यात्मिक गुरु से ज्ञान की स्पष्ट दृष्टि के द्वारा उन्हें आप सभी आत्माओं की आत्मा और हर एक की परम आत्मा के रूप में देख सकते हैं। इस प्रकार, आपके मूल व्यक्तित्व को समझकर वे भ्रमपूर्ण भौतिक अस्तित्व के सागर को पार करने में सक्षम हैं।