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अध्याय 11: कृष्ण की बाल-लीलाएँ
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श्लोक 48
श्लोक
10.11.48
स वै बको नाम महानसुरो बकरूपधृक् ।
आगत्य सहसा कृष्णं तीक्ष्णतुण्डोऽग्रसद् बली ॥ ४८ ॥
अनुवाद
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उस महाकाय असुर का नाम बकासुर था। उसने बड़े नुकीली चोंच वाली बगुले की काया धर ली थी। वहाँ आकर उसने तुरंत ही कृष्ण को निगल लिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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