श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 99: सीता के रसातल - प्रवेश के पश्चात् श्रीराम की जीवनचर्या, रामराज्य की स्थिति तथा माताओं के परलोक-गमन आदि का वर्णन  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  7.99.3 
 
 
प्रविष्टायां तु सीतायां भूतलं सत्यसम्पदा।
तस्यावसाने यज्ञस्य राम: परमदुर्मना:॥ ३॥
 
 
अनुवाद
 
  निश्चित ही सीताजी सच्चाई की शक्ति के साथ रसातल में प्रवेश कर गई हैं, इसलिए यज्ञ के अंत में भगवान श्री राम का मन अत्यधिक दुखी हुआ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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