श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 97: सीता का शपथ ग्रहण और रसातल में प्रवेश  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  7.97.22 
 
 
एवं बहुविधा वाचो ह्यन्तरिक्षगता: सुरा:।
व्याजह्रुर्हृष्टमनसो दृष्ट्वा सीताप्रवेशनम्॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  देवता आकाश में खड़े होकर सीता के रसातल में प्रवेश को देखकर प्रसन्न हो गए और हर्षित मन से इस प्रकार अनेक बातें कहने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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