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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 94: लव-कुश द्वारा रामायण-काव्य का गान तथा श्रीराम का उसे भरी सभा में सुनना
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श्लोक 24
श्लोक
7.94.24
किंप्रमाणमिदं काव्यं का प्रतिष्ठा महात्मन:।
कर्ता काव्यस्य महत: क्व चासौ मुनिपुङ्गव:॥ २४॥
अनुवाद
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इस महाकाव्य में कितने श्लोक हैं? इसके रचयिता महान कवि का निवास स्थान कहाँ है? इस महान काव्य के रचयिता कौन ऋषि हैं और वे कहाँ हैं?
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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