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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 94: लव-कुश द्वारा रामायण-काव्य का गान तथा श्रीराम का उसे भरी सभा में सुनना
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श्लोक 20-21
श्लोक
7.94.20-21
ऊचतुश्च महात्मानौ किमनेनेति विस्मितौ॥ २०॥
वन्येन फलमूलेन निरतौ वनवासिनौ।
सुवर्णेन हिरण्येन किं करिष्यावहे वने॥ २१॥
अनुवाद
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दोनों महामना भाई आश्चर्य में पड़कर बोले - "इस धन की आवश्यकता क्या है? हम वनवासी हैं। जंगली फल-मूल से जीवन-निर्वाह करते हैं। सोना-चांदी को वन में ले जाकर क्या करेंगे?"॥ २०-२१॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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