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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 92: श्रीराम के अश्वमेध यज्ञ में दान- मान की विशेषता
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श्लोक 9
श्लोक
7.92.9
एवं सुविहितो यज्ञो ह्यश्वमेधो ह्यवर्तत।
लक्ष्मणेन सुगुप्ता सा हयचर्या प्रवर्तत॥ ९॥
अनुवाद
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इस प्रकार हयमेध यज्ञ का कार्य सुचारू रूप से प्रारम्भ हुआ और लक्ष्मण द्वारा पूरी तरह से सुरक्षित करते हुए घोड़े को पृथ्वी पर भ्रमण कराए जाने का कार्य भी सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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