श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 92: श्रीराम के अश्वमेध यज्ञ में दान- मान की विशेषता  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  7.92.4 
 
 
नैमिषे वसतस्तस्य सर्व एव नराधिपा:।
आनिन्युरुपहारांश्च तान् राम: प्रत्यपूजयत्॥ ४॥
 
 
अनुवाद
 
  नैमिषारण्य में निवास करते समय श्रीरामचंद्रजी के पास सभी देशों के राजा तरह-तरह के उपहार ले आए और श्रीरामचंद्रजी ने उनका आदर-सत्कार किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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