श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 91: श्रीराम के आदेश से अश्वमेध यज्ञ की तैयारी  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  7.91.29 
 
 
विभीषणश्च रक्षोभि: स्त्रीभिश्च बहुभिर्वृत:।
ऋषीणामुग्रतपसां पूजां चक्रे महात्मनाम्॥ २९॥
 
 
अनुवाद
 
  विभीषण रक्षसों और बहुत सारी स्त्रियों के साथ महात्मा ऋषियों के स्वागत-सत्कार में व्यस्त थे।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये उत्तरकाण्डे एकनवतितम: सर्ग: ॥ ९ १॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके उत्तरकाण्डमें इक्यानबेवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ९ १॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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