श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 90: अश्वमेध के अनुष्ठान से इला को पुरुषत्व की प्राप्ति  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  7.90.24 
 
 
ईदृशो ह्यश्वमेधस्य प्रभाव: पुरुषर्षभौ।
स्त्रीभूत: पौरुषं लेभे यच्चान्यदपि दुर्लभम्॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  पुरुषश्रेष्ठ भरत और लक्ष्मण! अश्वमेध यज्ञ का प्रभाव अद्भुत है। जिस राजा इल को स्त्री का रूप प्राप्त हो गया था, उसने इस यज्ञ के प्रभाव से पुरुषत्व प्राप्त कर लिया और अन्य दुर्लभ वस्तुओं को भी अपने वश में कर लिया।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये उत्तरकाण्डे नवतितम: सर्ग: ॥ ९ ०॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके उत्तरकाण्डमें नब्बेवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ९ ०॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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