श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 9: रावण आदि का जन्म और उनका तप के लिये गोकर्ण-आश्रम में जाना  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  7.9.36 
 
 
तस्मिन् जाते महासत्त्वे पुष्पवर्षं पपात ह।
नभ:स्थाने दुन्दुभयो देवानां प्राणदंस्तथा।
वाक्यं चैवान्तरिक्षे च साधु साध्विति तत् तदा॥ ३६॥
 
 
अनुवाद
 
  उस महान् सत्त्वशाली पुत्रका जन्म होनेपर आकाशसे फूलोंकी वर्षा हुई और आकाशमें देवोंकी दुन्दुभियाँ बज उठीं। उस समय अन्तरिक्षमें ‘साधु-साधु’ की ध्वनि सुनायी देने लगी॥ ३६॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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