श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 9: रावण आदि का जन्म और उनका तप के लिये गोकर्ण-आश्रम में जाना  »  श्लोक 19-20
 
 
श्लोक  7.9.19-20 
 
 
एवमुक्ता तु सा कन्या कृताञ्जलिरथाब्रवीत्।
आत्मप्रभावेण मुने ज्ञातुमर्हसि मे मतम्॥ १९॥
किं तु मां विद्धि ब्रह्मर्षे शासनात् पितुरागताम्।
कैकसी नाम नाम्नाहं शेषं त्वं ज्ञातुमर्हसि॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  विश्वास के ऐसा पूछने पर उस बालिका ने हाथ जोड़कर उत्तर दिया- "मुनिवर! आप अपने प्रभाव से मेरे मनोभाव को स्वयं समझ सकते हैं; पर हे ब्रह्मर्षि! आप मेरे मुँह से इतना जान लें कि मैं अपने पिता की आज्ञा से आपकी सेवा में उपस्थित हुई हूँ और मेरा नाम कैकसी है। अब शेष सब बातें आपको स्वयं ही जान लेनी चाहिए (मेरे मुँह से न सुनें)।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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