श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 89: बुध और इला का समागम तथा पुरुरवा की उत्पत्ति  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  7.89.5 
 
 
तस्य तद् वचनं श्रुत्वा शून्ये स्वजनवर्जिते।
इला सुरुचिरप्रख्यं प्रत्युवाच महाप्रभम्॥ ५॥
 
 
अनुवाद
 
  शून्य और स्वजनों से रहित उस स्थान पर बुध की बात सुनकर, इला ने महातेजस्वी बुध से इस प्रकार कहा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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