श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 89: बुध और इला का समागम तथा पुरुरवा की उत्पत्ति  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  7.89.25 
 
 
बुधस्तु पुरुषीभूतं स वै संवत्सरान्तरम्।
कथाभी रमयामास धर्मयुक्ताभिरात्मवान्॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
   वर्ष पूरा होने में जितने महीने बाकी थे, बुध ने उतने समय तक राजा को मनोरंजन करने के लिए धार्मिक और सद्गुणों की कहानियां सुनाईं।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये उत्तरकाण्डे एकोननवतितम: सर्ग: ॥ ८ ९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके उत्तरकाण्डमें नवासीवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ८ ९॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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