सुतो धर्मपरो ब्रह्मन् ज्येष्ठो मम महायशा:।
शशबिन्दुरिति ख्यात: स मे राज्यं प्रपत्स्यते॥ १७॥
अनुवाद
ब्रह्मन्! मेरे धर्मानुरागी सबसे बड़े पुत्र बहुत ही यशस्वी हैं। उनका नाम शशबिंदु है। जब मैं वहाँ जाकर उनका अभिषेक करूँगा, तभी वे मेरा राज्य ग्रहण करेंगे।