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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 89: बुध और इला का समागम तथा पुरुरवा की उत्पत्ति
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श्लोक 15
श्लोक
7.89.15
स राजा तेन वाक्येन प्रत्याश्वस्तो महामति:।
प्रत्युवाच ततो वाक्यं दीनो भृत्यजनक्षयात्॥ १५॥
अनुवाद
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श्री बुध के इस कथन से महाबुद्धिमान राजा इल आश्वस्त तो हुए, किंतु अपने सेवकों के नष्ट होने से वे बहुत दुखी थे, इसलिए उनसे इस प्रकार बोले –।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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