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श्लोक 14
श्लोक
7.89.14
समाश्वसिहि भद्रं ते निर्भयो विगतज्वर:।
फलमूलाशनो वीर निवसेह यथासुखम्॥ १४॥
अनुवाद
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वीर! अब तुम साहस बनाए रखो। सब कुछ तुम्हारे अच्छे के लिए ही है। चिंता छोड़कर और निर्भय होकर यहीं पर फल-मूल खाओ और सुखपूर्वक रहो।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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