श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 89: बुध और इला का समागम तथा पुरुरवा की उत्पत्ति  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  7.89.14 
 
 
समाश्वसिहि भद्रं ते निर्भयो विगतज्वर:।
फलमूलाशनो वीर निवसेह यथासुखम्॥ १४॥
 
 
अनुवाद
 
  वीर! अब तुम साहस बनाए रखो। सब कुछ तुम्हारे अच्छे के लिए ही है। चिंता छोड़कर और निर्भय होकर यहीं पर फल-मूल खाओ और सुखपूर्वक रहो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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