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श्लोक 13
श्लोक
7.89.13
अश्मवर्षेण महता भृत्यास्ते विनिपातिता:।
त्वं चाश्रमपदे सुप्तो वातवर्षभयार्दित:॥ १३॥
अनुवाद
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राजन! आप के सभी सेवक ओलों की बहुत भारी वर्षा से मारे गये। आप भी आँधी-पानी के डर से दुखी होकर इस आश्रम में आकर सो गये थे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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