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श्लोक 11
श्लोक
7.89.11
भगवन् पर्वतं दुर्गं प्रविष्टोऽस्मि सहानुग:।
न च पश्यामि तत् सैन्यं क्व नु ते मामका गता:॥ ११॥
अनुवाद
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भगवन्! मैं अपने सेवकों के साथ दुर्गम पर्वत पर आ गया, परंतु यहाँ मुझे अपनी वह सेना नहीं दिखायी देती है। जाने कहाँ चले गये वे मेरे सैनिक?
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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