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श्लोक 7.88.24  |
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ता: श्रुत्वा सोमपुत्रस्य स्त्रिय: किंपुरुषीकृता:।
उपासांचक्रिरे शैलं वध्वस्ता बहुलास्तदा॥ २४॥ |
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अनुवाद |
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किम्पुरुषी नाम से प्रसिद्ध हुई वे स्त्रियाँ सोमपुत्र बुध की उपर्युक्त बात सुनकर उस पर्वत पर रहने लगीं। उनकी संख्या अत्यंत अधिक थी। |
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इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये उत्तरकाण्डेऽष्टाशीतितम: सर्ग:॥ ८८॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके उत्तरकाण्डमें अट्ठासीवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ८८॥ |
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