वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 7: उत्तर काण्ड
»
सर्ग 88: इला और बुध का एक-दूसरे को देखना तथा बुध का उन सब स्त्रियोंको किंपुरुषी नाम देकर पर्वत पर रहने के लिये आदेश देना
»
श्लोक 19
श्लोक
7.88.19
अस्माकमेषा सुश्रोणी प्रभुत्वे वर्तते सदा।
अपति: काननान्तेषु सहास्माभिश्चरत्यसौ॥ १९॥
अनुवाद
play_arrowpause
‘‘हे ब्रह्मन्! हमारी यह प्यारी महिला हमारे अधिकार में निरंतर रहती है। इसका कोई पति नहीं है। यह अपनी इच्छा से हम सभी के साथ वन क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से आती-जाती रहती है।’’
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.