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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 88: इला और बुध का एक-दूसरे को देखना तथा बुध का उन सब स्त्रियोंको किंपुरुषी नाम देकर पर्वत पर रहने के लिये आदेश देना
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श्लोक 14
श्लोक
7.88.14
न देवीषु न नागीषु नासुरीष्वप्सर:सु च।
दृष्टपूर्वा मया काचिद् रूपेणानेन शोभिता॥ १४॥
अनुवाद
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मैंने न देवी रूप की महिलाओं में, न नाग, असुर और अप्सराओं के रूप वाली महिलाओं में ही पहले कभी इतनी सुंदर रूप से सजी हुई कोई महिला नहीं देखी है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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