श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 87: श्रीराम का लक्ष्मण को राजा इल की कथा सुनाना – इल को एक-एक मासतक स्त्रीत्व और पुरुषत्व की प्राप्ति  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  7.87.9 
 
 
प्रजघ्ने स नृपोऽरण्ये मृगान् शतसहस्रश:।
हत्वैव तृप्तिर्नाभूच्च राज्ञस्तस्य महात्मन:॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  राजा ने उस वन में सैकड़ों-हजारों मृगों का शिकार किया, किंतु इतने ही मृगों का शिकार करके भी उस महामनस्वी नरेश को तृप्ति नहीं मिली।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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