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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 87: श्रीराम का लक्ष्मण को राजा इल की कथा सुनाना – इल को एक-एक मासतक स्त्रीत्व और पुरुषत्व की प्राप्ति
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श्लोक 19-20h
श्लोक
7.87.19-20h
उत्तिष्ठोत्तिष्ठ राजर्षे कार्दमेय महाबल॥ १९॥
पुरुषत्वमृते सौम्य वरं वरय सुव्रत।
अनुवाद
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हे कार्दमपुत्र, महाबली राजर्षे! उठो-उठो। हे सौम्य नरेश! उत्तम व्रतों का पालन करने वाले! तुम पुरुषत्व को छोड़कर जो चाहो, वह वर मांग लो।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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