श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 87: श्रीराम का लक्ष्मण को राजा इल की कथा सुनाना – इल को एक-एक मासतक स्त्रीत्व और पुरुषत्व की प्राप्ति  »  श्लोक 14-15h
 
 
श्लोक  7.87.14-15h 
 
 
यच्च किंचन तत् सर्वं नारीसंज्ञं बभूव ह।
एतस्मिन्नन्तरे राजा स इल: कर्दमात्मज:॥ १४॥
निघ्नन् मृगसहस्राणि तं देशमुपचक्रमे।
 
 
अनुवाद
 
  कर्दम के पुत्र राजा इल हजारों हिंसक पशुओं को मारते हुए उस देश में आये। उस समय उस देश में जो कुछ भी जीव-जन्तु थे, वे सब स्त्रीलिंग रूप में बदल गये।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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