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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 87: श्रीराम का लक्ष्मण को राजा इल की कथा सुनाना – इल को एक-एक मासतक स्त्रीत्व और पुरुषत्व की प्राप्ति
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श्लोक 11
श्लोक
7.87.11
तस्मिन् प्रदेशे देवेश: शैलराजसुतां हर:।
रमयामास दुर्धर्ष: सर्वैरनुचरै: सह॥ ११॥
अनुवाद
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उस स्थान में देवताओं के स्वामी दुर्जय अर्थात् दुर्जय देवता भगवान शिव अपने समस्त सेवकों के साथ रहकर पर्वतराज हिमालय की पुत्री देवी पार्वती का मनोरंजन करते थे॥ ११॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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