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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 86: इन्द्र के बिना जगत् में अशान्ति तथा अश्वमेध के अनुष्ठान से इन्द्र का ब्रह्महत्या से मुक्त होना
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श्लोक 20
श्लोक
7.86.20
ईदृशो ह्यश्वमेधस्य प्रभावो रघुनन्दन।
यजस्व सुमहाभाग हयमेधेन पार्थिव॥ २०॥
अनुवाद
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रघुनन्दन! इसी प्रकार अश्वमेध यज्ञ उत्तम फल प्रदान करने वाला है। अतः हे पृथ्वी के स्वामी! हे महाभाग! आप अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान करो।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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