श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 86: इन्द्र के बिना जगत् में अशान्ति तथा अश्वमेध के अनुष्ठान से इन्द्र का ब्रह्महत्या से मुक्त होना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  7.86.19 
 
 
प्रशान्तं च जगत् सर्वं सहस्राक्षे प्रतिष्ठिते।
यज्ञं चाद्भुतसंकाशं तदा शक्रोऽभ्यपूजयत्॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  सहस्राक्ष इन्द्र के अपने पद पर प्रतिष्ठित होते ही समस्त जगत् में शांति छा गई। तब इन्द्र ने उस अदभुत शक्तिशाली यज्ञ की अत्यधिक प्रशंसा की।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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