श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 7: उत्तर काण्ड  »  सर्ग 86: इन्द्र के बिना जगत् में अशान्ति तथा अश्वमेध के अनुष्ठान से इन्द्र का ब्रह्महत्या से मुक्त होना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  7.86.16 
 
 
हन्तारो ब्राह्मणान् ये तु मृषापूर्वमदूषकान्।
तांश्चतुर्थेन भागेन संश्रयिष्ये सुरर्षभा:॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  सुरश्रेष्ठगणो ! जो ब्राह्मण झूठ बोलकर किसी को अपमानित या बदनाम नहीं करते हैं, ऐसे ब्राह्मणों का वध करने वालों पर मैं अपने चौथे भाग के साथ आक्रमण करूँगी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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