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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 85: भगवान् विष्णु के तेज का इन्द्र और वज्र आदि में प्रवेश, इन्द्र के वज्र से वृत्रासुर का वध तथा ब्रह्महत्याग्रस्त इन्द्र का अन्धकारमय प्रदेश में जाना
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श्लोक 21
श्लोक
7.85.21
पुण्येन हयमेधेन मामिष्ट्वा पाकशासन:।
पुनरेष्यति देवानामिन्द्रत्वमकुतोभय:॥ २१॥
अनुवाद
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पवित्र अश्वमेध-यज्ञ करके यज्ञ-पुरुष मेरी आराधना करेंगे, जिससे पाकशासन इंद्र पुनः देवताओं के राजा बन जाएँगे और फिर उन्हें किसी से भी भय नहीं रहेगा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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