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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 7: उत्तर काण्ड
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सर्ग 85: भगवान् विष्णु के तेज का इन्द्र और वज्र आदि में प्रवेश, इन्द्र के वज्र से वृत्रासुर का वध तथा ब्रह्महत्याग्रस्त इन्द्र का अन्धकारमय प्रदेश में जाना
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श्लोक 20
श्लोक
7.85.20
तेषां तद् वचनं श्रुत्वा देवानां विष्णुरब्रवीत्।
मामेव यजतां शक्र: पावयिष्यामि वज्रिणम्॥ २०॥
अनुवाद
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देवताओं की इस बात को सुनकर भगवान विष्णु ने कहा - "इंद्र मेरी ही पूजा करें। मैं उन वज्रधारी देवराज इंद्र को पवित्र कर दूँगा।"
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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